एक छोटे से गांव में एक पुराना हवेली था, जिसे लोग "छाया हवेली" कहते थे।
एक छोटे से गांव में पुराना हवेली....
एक छोटे से गांव में एक पुराना हवेली था, जिसे लोग "छाया हवेली" कहते थे। कहते हैं कि वहां सालों पहले एक औरत की रहस्यमयी मौत हुई थी, और तब से वहां अजीब घटनाएं होती रहती थीं। गांव वाले सूरज ढलने के बाद उस रास्ते से भी नहीं गुजरते थे।
एक दिन शहर से तीन दोस्त – अमित, रोहित और सीमा – एडवेंचर के लिए गांव आए। गांववालों की बातें सुनकर उन्होंने ठान लिया कि वे रात भर उस हवेली में रुकेंगे और पता लगाएंगे कि वहां क्या सच्चाई है। उन्होंने टॉर्च, कैमरा और खाने-पीने का सामान लेकर रात के समय हवेली में कदम रखा।
रात गहराते ही हवेली की दीवारें सिसकियाँ सी भरने लगीं, दरवाजे अपने आप खुलने-बंद होने लगे, और हवा में किसी औरत की धीमी-धीमी रोने की आवाज़ गूंजने लगी। सीमा ने जब एक कमरे का दरवाज़ा खोला, तो वहां एक पुराना आईना था, जिसमें उसे खुद की जगह किसी अजनबी औरत की आंखें घूरती दिखीं। डर के मारे वह चीख पड़ी।
तीनों दोस्त हवेली से बाहर भागना चाहते थे, लेकिन दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। अचानक अमित गायब हो गया और रोहित को किसी ने पीछे से खींच लिया। सीमा जैसे-तैसे बेहोश होते-होते बाहर के दरवाज़े तक पहुंची। अगली सुबह गांव वालों ने सीमा को हवेली के बाहर बेसुध पाया — और आज भी वो हवेली वैसी ही खामोश, पर ज़िंदा लगती है. सीमा को जब होश आया, तो वह गांव के एक बुज़ुर्ग के घर में थी। उसके चेहरे पर डर साफ झलक रहा था। गांव के लोग उसके चारों ओर खड़े थे, लेकिन उसकी जुबान जैसे थम गई थी। वह बस बार-बार यही दोहरा रही थी — "आईना… उसकी आंखें… अमित… रोहित…"। गांव के पंडित ने जब यह सुना, तो उन्होंने गंभीरता से कहा, "यह वही हुआ जिसका डर था। हवेली की आत्मा अब जाग चुकी है।"
पंडित ने बताया कि बरसों पहले उस हवेली में एक औरत – कलावती – अपने पति के धोखे के बाद ज़िंदा जल गई थी। उसकी आत्मा अब भी उस आईने में क़ैद है और हर साल एक आत्मा अपने साथ ले जाती है। अमित और रोहित अब शायद उसी श्राप का शिकार हो गए थे। पंडित ने सीमा से कहा कि अगर वह अपने दोस्तों को बचाना चाहती है, तो उसे फिर से उस हवेली में जाना होगा — पर इस बार अकेले।
सीमा ने हिम्मत जुटाई और अगली रात हाथ में पवित्र माला और दीप लेकर दोबारा हवेली में पहुंची। हवेली और भी डरावनी लग रही थी — हर कोना जैसे उसे निगल लेना चाहता था। जब वह उसी कमरे में पहुंची जहाँ आईना था, तो आईने में अमित और रोहित की परछाइयाँ दिखाई दीं — पर वे कुछ कह नहीं पा रहे थे, बस छटपटा रहे थे। तभी आईने से कलावती की आत्मा बाहर निकली — उसका चेहरा जल चुका था, और उसकी आंखों में आग थी।
सीमा ने कांपते हुए माला फेंकी और दीप जलाकर मंत्र पढ़ने लगी। हवेली में तूफान सा मच गया। कलावती की चीखें हवेली की दीवारों को चीरने लगीं। अचानक एक तेज़ रोशनी हुई, और आईना चकनाचूर हो गया। अमित और रोहित ज़मीन पर बेहोश पड़े थे, लेकिन जिंदा थे। सीमा ने उन्हें बाहर निकाला। कहते हैं उस दिन के बाद हवेली हमेशा के लिए खामोश हो गई — लेकिन गांव वाले आज भी उस जगह को देखकर कांप उठते हैं.
अमित और रोहित को होश आने में कई दिन लगे। वे कुछ बोल नहीं पा रहे थे, लेकिन उनकी आंखों में वही डर और सन्नाटा था जो उन्होंने हवेली में देखा था। डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें मानसिक आघात पहुंचा है, लेकिन सीमा जानती थी कि यह कोई आम हादसा नहीं था। तीनों ने फैसला किया कि वे गांव छोड़कर शहर लौट जाएंगे — पर कुछ अधूरा रह गया था।
सीमा को रात में अब भी अजीब सपने आते थे — उसी जलती हुई औरत के, वही आईना, और एक आवाज़ जो बार-बार कहती थी, “मैं खत्म नहीं हुई हूं।” सीमा को एहसास हुआ कि आईना भले टूट गया, लेकिन कलावती की आत्मा पूरी तरह मुक्त नहीं हुई। उसकी आत्मा अभी भी अधूरी है, और अगर उसे मुक्ति नहीं मिली, तो वह फिर लौटेगी — किसी और आईने में, किसी और जगह।
तीनों दोस्तों ने मिलकर उस हवेली की जमीन को मंदिर को दान दे दिया, ताकि वहां पूजा-पाठ हो सके और आत्मा को शांति मिले। कई पुजारियों ने वहां हवन और शांति यज्ञ करवाए। कुछ महीनों बाद गांव वालों ने महसूस किया कि अब वहां का माहौल पहले जैसा डरावना नहीं रहा। बच्चे अब उस रास्ते से खेलते हुए गुजरने लगे, और पक्षियों की चहचहाहट फिर सुनाई देने लगी।
लेकिन… एक दिन, शहर के एक पुराने एंटिक शॉप में एक ग्राहक ने एक अजीब आईना खरीदा। जैसे ही उसने उसे दीवार पर टांगा — आईने में एक पल के लिए एक औरत की झुलसी हुई परछाईं दिखाई दी… और फिर गायब हो गई। कलावती की आत्मा तो बस ठिकाना बदल चुकी थी — कहानी खत्म नहीं हुई थी, बल्कि अब एक नया अध्याय शुरू हो चुका था...
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